नई दिल्ली। वायु प्रदूषण के कारण ग्रीन सेक्टर की नौकरियों में करीब 76 फीसद तक का उछाल आया है। इस सेक्टर की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए युवा इसमें काफी दिलचस्पी ले रहे हैं। अगर पर्यावरण से गहरा लगाव है अभी हाल में प्रदूषण से हालात इतने विकट हो गए थे कि लोग सांस की तकलीफ से जूझते नजर आए। इसकी वजह से तमाम लोग बीमार भी पड़ गए। इस विपदा की वजह से तमाम लोग दिल्ली छोड़ने के बारे में भी सोचने लगे।
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सरकार को दिल्ली -एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी तक लगानी पड़ी। वैसे, आजकल यह समस्या सिर्फ दिल्ली की ही नहीं है। दुनिया के ज्यादातर शहरों में इसी तरह से प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, उनकी सेहत को नुकसान पहुंच रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदूषण और बदलता मौसम इनदिनों टॉप 10 वैश्विक खतरों में से एक है।
ऐसे में पूरी दुनिया में इस समय पर्यावरण संकट से निपटने के लिए काफी जोर दिया जा रहा है। इससे प्रदूषण नियंत्रण एवं एयर क्वालिटी कंट्रोल के क्षेत्र में करियर के नए-नए मौके भी सामने आ रहे हैं। जॉब पोर्टल इंडीड की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में क्लीन एनर्जी सेक्टर की लोकप्रियता बढ़ने से इस फील्ड के जॉब में करीब 76 फीसद का उछाल आया है।
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आज इस क्षेत्र के युवा प्रोफेशनल्स की मांग देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी बहुत है। अगर आप भी इस सेक्टर से जुड़ना चाहते हैं, तो समुचित नॉलेज और टेक्निकल स्किल हासिल करने के बाद आपके लिए भी यह एक चमकीला करियर हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण फैल रही तमाम बीमारियों और मौतों को देखते हुए देश में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित नियम-कायदे लगातार कड़े होते जा रहे हैं। सरकारों का भी इस तरफ काफी जोर है।
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यही वजह है कि आज बड़ी संख्या में एनवॉयर्नमेंटल साइंस, एनवॉयर्नमेंटल इंजीनियरिंग तथा रिन्यूएबल एनर्जी में प्रशिक्षित लोगों की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक दुनियाभर में हर तरह के प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाएगा। जाहिर है इस क्षेत्र में आने वाले दिनों में नौकरी की अपार संभावनाएं हैं।
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आजकल एयर क्वालिटी असेसमेंट यानी वायु की गुणवत्ता को परखने पर काफी काम किया जा रहा है, ताकि प्रदूषण की चुनौतियों से कारगर तरीके से निपटा जा सके। इसलिए इन दिनों एयर क्वालिटी रिसर्च एनालिस्ट जैसे प्रोफेशनल्स की काफी मांग देखी जा रही है, जो प्रदूषण के स्तर का आकलन कर इससे निपटने की रणनीति बनाते हैं। वे मुख्य रूप से एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग तथा उत्सर्जन को रोकने जैसे उपायों पर ये काम करते हैं। प्रदूषण नियंत्रण प्रतिष्ठानों से लेकर पर्यावरण से जुड़े विभिन्न एनजीओ और रिसर्च संस्थानों में आजकल इनकी काफी मांग है।
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कोर्स एवं योग्यताएं
देश के कई संस्थानों में एनवॉयर्नमेंटल साइंस या एनवॉयर्नमेंटल स्टडीज नाम से डिग्री और पीजी कोर्सेज संचालित हो रहे हैं। साइंस स्ट्रीम के स्टूडेंट 12वीं के बाद यह कोर्स कर सकते हैं। बैचलर कोर्स की अवधि तीन साल है। साथ ही एनवॉयर्नमेंटल इंजीनियरिंग में बीटेक या बीई भी कर सकते हैं।
प्रमुख संस्थान
1. दिल्ली यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली, वेबसाइट: www.du.ac.in
2. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली, वेबसाइट: www.jnu.ac.in
3. टेरी स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, नई दिल्ली, वेबसाइट: www.terisas.ac.in
4. चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ, वेबसाइट: www.ccsuniversity.ac.in
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