चीनपरस्त WHO को भारत का करारा जवाब, Hydroxychloroquine के क्लीनिकल ट्रायल पर WHO की रोक के पीछे साजिश?

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कोरोना संकट के दौरान भारत और दुनियाभर के देश परेशान है. आपको बता दें की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 की रोकाथाम के लिए भारत में तैयार होने वाली मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) के क्लीनिकल ट्रायल पर रोक लगा दी। क्या इसके पीछे कोई साजिश है?

वहीँ यह सवाल इस उठ रहा है क्योंकि अमेरिका डब्ल्यूएचओ पर लगातार चीनपरस्त होने का आरोप लगाता रहा है। अब भारतीय आर्युविज्ञान अनुसंधान संस्थान (ICMR) का कहना है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर पिछले डेढ़ महीनों में कई स्तर पर जांच हुई जिनमें उसके कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने की क्षमता की पुष्टि हुई है।

इसके साथ ही, अध्ययन में यह भी स्पष्ट हुआ है कि इस दवा के इस्तेमाल का कोई बड़ा साइड इफेक्ट नहीं है। बता दें की ICMR के महानिदेशक (डीजी) डॉ. बलराम भार्गव ने कोरोना पर प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पूछे गए सवाल का सीधा-सीधा जवाब तो नहीं दिया कि डब्ल्यूएचओ के पीछे कोई साजिश है या नहीं, लेकिन उनके जवाबों से इतना स्पष्ट हो गया है कि क-से-कम भारत में चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ वैश्विक संगठन के फैसले से सहमत नहीं हैं।

आईसीएमआर के चीफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘अभी बायॉलजी की नजर से इसमें संक्रमण रोधी (एंटी वायरल) दवाई के रूप में काम करने की संभावना दिख रही है। जब हमने प्रयोगशालाओं में टेस्ट ट्यूब के जरिए अध्ययन किया तो रिजल्ट में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के एंटी वायरल क्वॉलिटी का पता चला। ऐसी स्टडीज पहले भी हुईं और रिजल्ट नेचर मैगजीन समेत अन्य जगहों पर भी प्रकाशित हुईं।’

डॉ. भार्गव आगे कहा, ‘हमने उसी तरह की स्टडी फिर से टेस्ट ट्यूब में की और पाया कि इसमें ऐंटी-वायरल कपैसिटी है। जब अमेरिकी सरकार ने भी इसे आपातकालीन दवा के रूप में इसका इस्तेमाल बढ़ा दिया तो हमें और भी लगा कि इसका इस्तेमाल संक्रमण से बचाव में किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि जैविक संभाव्यता (बायलॉजिकल प्लॉजिबिलिटी), टेस्ट ट्यूब अध्ययन और दवा की उपलब्धता और सुरक्षा के आधार पर हमने डेढ़ महीने पहले हाइड्रोक्लोरोक्वीन का मेडिकल सुपरविजन में इस्तेमाल की अनुशंसा की दी थी। तब हमने यह भी कहा था कि कुछ स्टडी होनी चाहिए कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की कोविड-19 को रोकने में क्या भूमिका हो सकती है।

उन्होंने कहा, ‘पिछले छह हफ्तों में एम्स, ICMR समेत दिल्ली के तीन सरकारी अस्पतालों में ऑब्जर्वेशनल स्टडीज, इनमें कुछ केस कंट्रोल स्टडीज की गईं। हमने इन स्टडीज के आंकड़े मिले जो हमें बताते हैं कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोविड-19 की रोकथाम में काम आ सकते हैं। हमें इसका कुछ खास साइड इफेक्ट भी सामने नहीं आया। कुछ लोगों ने कभी-कभार उल्टी आने जैसी शिकायतें जरूर कीं।’

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