बीजिंग॥ हिन्दुस्तान और चीन के बीच लद्दाख सीमा पर तनाव अपने चरम पर है। दोनों ही देशों के हजारों सैनिक आमने-सामने हैं। हिन्दुस्तान और चीन के वार्ताकारों के बीच वार्ता से इसमें थोड़ा नरमी जरूर आई है मगर विवाद का जल्द हल होता नहीं दिख रहा है। इस बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीनी ड्रैगन बहुत तेजी से हिन्द महासागर में अपने पैर पसार रहा है और आने वाले वक्त में हिन्दुस्तान को लद्दाख से भी बड़े खतरे का सामना करना पड़ सकता है।
थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक लद्दाख में नियंत्रण रेखा ही हिन्दुस्तान के लिए चिंता का सबब नहीं है। चीन हिन्द महासागर में बहुत तेजी से अपने पैर पसार रहा है। इस वर्ष मई महीने में ली गई सैटलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि अफ्रीका के जिबूती स्थित चीनी नेवल बेस को आधुनिक बनाया गया है। पहले लॉजिस्टिक सपोर्ट के बनाए इस ठिकाने को अब नेवल बेस में तब्दील कर दिया गया है। इस अड्डे पर चीन का विमानवाहक पोत भी खड़ा हो सकता है।
जिबूती स्थित चीन का नेवल बेस हिन्द महासागर में ड्रैगन की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। यह नौसैनिक अड्डा करीब 25000 वर्ग फुट के इलाके में पसरा है। यह अड्डा अपने आप में एक चीनी किले की तरह से है। इसमें करीब 10 हजार चीनी सैनिक रह सकते हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इस अड्डे के जरिए चीन इलाके में गुप्त निगरानी करता है। चारों तरफ निगरानी के लिए वॉच टॉवर बनाए गए हैं और सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए हैं।
लगभग 10 साल पहले चीनी नौसेना ने समुद्री लुटेरों से बचाव के नाम पर हिन्द महासागर में कदम रखा था। हिन्दुस्तानीय विश्लेषकों का मानना है कि पहले ऐसा विचार था कि चीन अपने हितों और व्यापार की सुरक्षा के लिए ऐसा कर रहा है लेकिन राय बदल रही है। कई विश्लेषकों का मानना है कि चीन अब खुद को हिन्द महासागर की एक बड़ी शक्ति के रूप में प्रॉजेक्ट करने में लगा हुआ है। चीन लगातार हिन्द महासागर में पनडुब्बी और युद्धपोत भेज रहा है।
बीते वर्ष सितंबर महीने में एक चीनी जहाज हिन्दुस्तानीय समुद्री इलाके में घुस आया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिन्दुस्तान को पश्चिमी प्रशांत महासागर में अपनी पहुंच बढ़ानी चाहिए जहां पर चीन का दबदबा है। इससे ड्रैगन को अपने कदम खींचने के लिए मजबूर होना पडे़गा।