लोहड़ी पर्व (Lohri Special) पर नृत्य और गीत का अपना अलग ही महत्व है। सुंदर मुंदरिए हो…गीत के बिना लोहड़ी पर्व अधूरा सा लगता है। इस गीत में रेवड़ी की मिठास और सद्भाव है। कृषि संस्कृति की भीनी-भीनी खुशबू है। ठंड में अग्नि की तपन है। इस गीत को गाने के बाद ही लगता है कि लोहड़ी मनाई गई है। लोहड़ी पर गाया जाने वाला यह Lohri Special मोहक गीत इस प्रकार है –
सुंदर मुंदरिये हो !
तेरा कौन विचारा हो !
दुल्ला भट्टी वाला हो !
दुल्ले धी व्याही हो !
सेर शक्कर पाई हो !
कुड़ी दे जेबे पाई
कुड़ी दा लाल पटाका हो ! (Lohri Special)
कुड़ी दा सालू पाटा हो !
सालू कौन समेटे हो !
चाचे चूरी कुट्टी हो !
ज़मिदारां लुट्टी हो !
ज़मींदार सदाए हो !
गिन-गिन पोले लाए हो ! (Lohri Special)
इक पोला रह गया !
सिपाही फड के लै गया !
सिपाही ने मारी ईट
भावें रो भावें पिट
सानू दे दे लोहड़ी
तुहाडी बनी रवे जोड़ी !(lohri special songs)
लोहड़ी पर्व के अवसर पर गाया जाने वाले इस गीत को सुनकर पंजाबियत अर्थात हर्ष-उल्लास, परिश्रम और आपसी प्रेम व सद्भाव की अनुभूति होती है। इस गीत के बिना लोहड़ी पर्व अधूरा माना जाता है।(Lohri Special)