नई दिल्ली॥ Yes Bank के ग्राहकों को परेशानी की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है जिससें उनका पूरा पैसा वापस मिल जाएगा। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ने Yes Bank पर सख्ती बरतते हुए इससे 50 हजार रुपए निकासी की सीमा तय की है। ये आदेश 1 महीने के लिए है।
इसके कारण से देश भर के Yes Bank ग्राहकों में खौफ बैठ गया है। इस वजह से Yes Bank के एटीएम में ग्राहकों की कतारें लगी हुई हैं। लेकिन Yes Bank के ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार ने एक ऐसा प्रावधान किया है जिससे बैंक के डूबने पर ग्राहकों को अपना पूरा पैसा वापस मिलेगा।
आपको बता दें कि PMC बैंक घोटाले के सामने आने के बाद से बैंकों में ग्राहकों की जमा राशि के भविष्य को लेकर बहस छिड़ गई थी। इस बहस के बीच वित्त वर्ष 2020-21 आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम लोगों को बड़ी राहत दी है। दरअसल, बैंक खातों में जमा रकम पर इंश्योरेंस गारन्टी की सीमा बढ़ा दी गई है।
पीएमसी घोटाले के बाद एक बार फिर इस मांग ने जोर पकड़ा था कि बीमा राशि को बढ़ाया जाए। अब इस कानून में 27 साल बाद बदलाव किया गया है। इसके पहले साल 1993 में बैंकिंग डिपॉजिट्स पर इंश्योरेंस की रकम बढ़ाकर 1 लाख रुपये की गई थी।
वित्त मंत्री के ऐलान के कुछ दिनों बाद ही वित्तीय सेवा विभाग ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। तब वित्त सचिव राजीव कुमार ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि बैंक डिपॉजिट्स पर 27 साल बाद बीमा कवर बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने के लिए वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने मंजूरी दे दी है। राजीव कुमार ने बताया कि वर्तमान में हर 100 रुपये पर 10 पैसे की जगह अब 12 पैसे प्रीमियम बैंक देंगे।
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के जमा पर बीमा ‘डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन’ (DICGC) के द्वारा किया जाता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात को लेकर अपने बजट में कहा है कि DICGC को ‘प्रति अकाउंट’ डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किए जाने की अनुमति है।
31 मार्च 2019 तक DICGC के पास डिपॉजिट इंश्योरेंस के तौर पर 97,350 करोड़ रुपए था, जिसमें 87,890 करोड़ रुपये सरप्लस भी शामिल है। DICGC ने 1962 से लेकर अब तक कुल क्लेम सेटलमेंट पर 5,120 करोड़ रुपए खर्च किया है जो कि सहकारी बैंकों के लिए था। डीआईसीजीसी के अंतर्गत कुल 2,098 बैंक आते हैं, जिनमें से 1,941 सहकारी बैंक हैं।
ग्राहकों को घबराने की आवश्यकता इसलिए भी नहीं है कि सरकार किसी बैंक को डूबने नहीं देती है। पहले के उदाहरण देखें तो सरकार ने सहकारी और सरकारी बैंकों को तो डूबने से बचाया ही है, निजी क्षेत्र के बैंक को भी बचाने की कोशिश की है। इसके पहले प्राइवेट सेक्टर का ग्लोबल ट्रस्ट बैंक (GTB) जब डूबने वाला था तो सरकार ने उसे भी बचाया था