Uttarakhand: एक चेहरा, एक टीम, BJP की यही थीम, CM की तारीफ कर बहुत कुछ साफ कर गए नड्डा

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देहरादून। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उत्तराखंड (Uttarakhand) में सरकार और संगठन की सूक्ष्मता से समीक्षा कर लौट चुके हैं। उनके चार दिनी प्रवास में बहुत सारी अहम बातें उभरकर सामने आईं। मसलन सरकार-संगठन के रिश्तों में और कसावट की आवश्यकता, तालमेल पर जोर आदि। मगर दो बातें बहुत मजबूती से सामने आईं।
Jp nadda
एक- Uttarakhand मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पूरे समय जिस तरह से तवज्जो मिली और उनकी तारीफ की गई, उससे यही संकेत निकले हैं कि उत्तराखंड में एक ही चेहरे को लेकर पार्टी आगे बढ़ना चाहती है। इसके अलावा, यह करीब-करीब तय माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल के आकार को अब नहीं बढ़ाया जाएगा। वैसे यह राजनीति है और इसमें कब कैसी जरूरत किस तरह की स्थिति बना दे, कुछ कहा नहीं जा सकता। मगर चार साल Uttarakhand में मंत्रियों की दो कुर्सियों को लगातार खाली रखकर भाजपा हाईकमान ने लालबत्तियों की फौज को कम से कम रखने का संकेत ही दिया है।
Uttarakhand मंत्रिमंडल का आकार बढ़ने की संभावनाएं पड़ीं और कमजोर
इससे पहले एनडी सरकार लालबत्तियों की फौज के कारण काफी बदनाम हो गई थी। पिछले साल कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के असामायिक निधन के बाद तो मंत्रिमंडल में मंत्रियों की खाली कुर्सियों की संख्या तीन हो गई है। विधायकों के स्तर पर मंत्री बनने के लिए चाहे जितनी बेचैनी हो, लेकिन हाईकमान और Uttarakhand मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर वह कभी दबाव कायम नहीं कर पाए हैं। एक हिसाब से यह भी कहा जा सकता है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कम मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ काम चलाने की आदत डाल ली है। भले ही वह विभागों से लदे हुए क्यों न हों।
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राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के प्रवास से पहले इस बात की खूब चर्चा थी कि मंत्रियों की खाली कुर्सी भरने के मामले में प्रगति हो सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ । इस बात की संभावना और बढ़ गई है कि हाईकमान अब Uttarakhand मंत्रिमंडल का आकार जस का तस रखने की अपनी योजना पर ही आगे बढे़। हालांकि  Uttarakhand प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत मंत्रियों की खाली कुर्सी भरने की वकालत कर चुके हैं, लेकिन भाजपा हाईकमान यही मानकर चल रहा है कि कम मंत्रियों से सरकार चलाने का अच्छा संदेश लोगों के बीच जाएगा।
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इसी तरह Uttarakhand विधानसभा चुनाव से पहले सीएम बदल देने के अपने प्रयोगों के पूर्व में विफल रहने के बाद इस बार भाजपा एक चेहरे पर ही भरोसा करने की स्थिति में दिखाई दे रही है। 2002 के Uttarakhand विधानसभा चुनाव से पहले नित्यानंद स्वामी की जगह भगत सिंह कोश्यारी को सीएम बनाया गया था, लेकिन भाजपा की सरकार की वापसी नहीं हो पाई थी। इसी तरह 2012 के Uttarakhand विधानसभा चुनाव से ऐन पहले डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की जगह भुवन चंद्र खंडूरी के हाथ में सरकार की कमान दी गई थी, लेकिन पार्टी सत्ता में वापसी नहीं कर पाई थी।
रावत के कामकाज की बार-बार तारीफ
नड्डा ने Uttarakhand  मुख्यमंत्री त्रिवेद्र सिंह रावत के कामकाज की बार-बार तारीफ करके यही संकेत देने की कोशिश की है कि उनकी अगुवाई पर पार्टी को भरोसा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का मानना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष सरकार और संगठन में स्फूर्ति भरने के मकसद से आए थे। इस लिहाज से उनका प्रवास कामयाब रहा।
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