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10 सितंबर दिन शनिवार से पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है। इन दिनों में पितरों का श्राद्ध और तर्पण (Pitru Paksha Shradh 2022) करने उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का विधान है। मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित पवित्र सप्त ऋषि मंदिर में श्राद्ध पक्ष के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और पूजा-अर्चना व तर्पण करते हैं। मान्यता है कि यहाँ तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है। मंदिर की प्राचीन कथा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने ही इस मंदिर की स्थापना की थी। कहा जाता है कि आज से 5266 साल पहले भगवान श्री कृष्ण ने उज्जैन में गुरु सांदीपनि से 16 दिनों में 64 कलाओं का ज्ञान अर्जित किया था।

सप्त ऋषि मंदिर के पुजारी आशीष गुरु बताते हैं कि जब भगवान श्री कृष्ण ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद गुरु सांदीपनि के सामने गुरु दक्षिणा देने का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने इंकार करdiya और गुरु माता अरुंधति की ओर इशारा कर दिया। इस पर गुरु माता ने भगवान श्रीकृष्ण से अपने पुत्र को गयासुर नामक राक्षस से वापस लाने की बात कही। (Pitru Paksha Shradh 2022) भगवान श्री कृष्ण पाताल लोक से गयासुर का संहार करके गुरु माता के एक पुत्र को वापस ले आए। इससे पहले गयासुर ने छह पुत्रों को काल के ग्रास में पहुंचा दिया था।

पिंड दान का महत्व

कथा के अनुसार स्वर्गवासी हुए पुत्रों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान श्री कृष्ण ने  उज्जैन में ही  सप्त ऋषि मंदिर की स्थापना की थी। इसी मन्दिर में गुरु भाइयों का तर्पण कर उनके मोक्ष की कामना की गई तभी से मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु तर्पण और पिंडदान करने के लिए आते हैं।  मंदिर के पुजारी बताते हैं कि अवंतिका नगरी में किए गए धार्मिक कार्य का फल किसी भी दूसरे शहर में किए गए पुण्य कार्य से तिल भर बड़ा पुण्य फल मिलता है। यही वजह है कि यहां पर किए गए तर्पण और पिंड दान का महत्व गया से भी  ज्यादा माना जाता  है। स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में इसका पूरा उल्लेख मिलता है। (Pitru Paksha Shradh 2022)

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