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प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। बिहार में महालेखाकार की टीम ने पीएम आवास योजना को लेकर आपत्ति जताई है. ऑडिट में यह बात सामने आयी कि राशि तो दे दी गयी, लेकिन बिना जमीन रजिस्ट्री कराये ही कुछ लाभुकों को आवास का लाभ दे दिया गया. टीम ने कहा है कि अब बिना जमीन रजिस्ट्री के योजना का लाभ नहीं मिलेगा.

पीएम आवास योजना महालेखाकार की टीम ने प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण को लेकर कई आपत्तियां जतायीं. 10 जिलों के परफॉर्मेंस ऑडिट में कई तरह की सलाह दी गई है. ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने सभी डीएम-डीडीसी को इसकी जानकारी दे दी है. उन्हें योजना के क्रियान्वयन में गुणवत्ता एवं पारदर्शिता के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.

पत्र में प्रतीक्षा सूची, आवासहीन लाभुकों के नाम पर जमीन का निबंधन समेत कई अन्य सुझाव दिये गये हैं. खासकर वार्षिक कार्य योजना व ग्राम सभा के नाम पर खानापूरी पर विशेष निर्देश दिये गये हैं.

वार्षिक कार्ययोजना तैयार करनी होगी

बताया गया है कि योजना के लिए वार्षिक कार्ययोजना तैयार की जाती है, लेकिन जांच में पता चला कि कार्ययोजना का निर्धारण समय से नहीं किया गया. लक्ष्य को समय पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक कार्ययोजना बनानी होगी। हर हाल में पंचायत स्तर पर वार्षिक सूची तैयार करनी है. प्रतीक्षा सूची दीवार पर लिखवाने का भी निर्देश दिया गया है.

ग्राम सभा की कार्यवाही में अब कोई व्यवधान नहीं होगा। रिपोर्ट में विशेषकर तरल पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बताया गया है कि चयनित लाभुकों की सूची का अनुमोदन ग्राम सभा में किया जाता है, लेकिन ऑडिट के दौरान यह बात सामने आयी कि ग्राम सभा का कोरम पूरा नहीं था और पात्रता या अपात्रता को लेकर स्थिति स्पष्ट करने में अनियमितता बरती गयी है. लाभार्थी। .

अब निर्धारित कोरम पूरा करने के बाद उपस्थित सदस्यों के हस्ताक्षर लेने होंगे। लाभार्थियों के संबंध में स्पष्ट तथ्य अंकित किये जायें। यह बात भी सामने आई कि दिव्यांग वर्ग के परिवारों को प्रतीक्षा सूची से पांच फीसदी आरक्षण नहीं मिल रहा है. इस संबंध में आवंटन का लाभ देने का निर्देश दिया गया. आपदा प्रभावित परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर आवास लाभ उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया गया है.

नियमित रूप से निगरानी करते रहें

योजना की प्रतीक्षा सूची में आवास विहीन लाभुकों को आवास निर्माण के लिए आवासीय भूमि उपलब्ध करायी जानी है. जिन लाभुकों को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा वास भूमि उपलब्ध नहीं करायी जाती है, उन्हें मुख्यमंत्री वास क्रय सहायता योजना से राशि दी जाती है. ऑडिट में यह बात सामने आयी कि राशि तो दे दी गयी, लेकिन बिना जमीन रजिस्ट्री कराये ही कुछ लाभुकों को आवास का लाभ दे दिया गया.

बताया गया कि इससे घर के मालिकाना हक पर सवाल उठेंगे. कुछ मामलों में पैसे लेने के बावजूद या तो जमीन खरीदी ही नहीं गई या फिर काफी देर से खरीदी गई। इस संबंध में नियमित मॉनिटरिंग के निर्देश दिये गये. आवासीय भूमि नहीं खरीदने वाले लाभार्थियों से वसूली की कार्रवाई की जाए। साथ ही लाभुक के नाम पर जमीन का निबंधन होने के बाद ही आवास स्वीकृति देने की सलाह दी गयी है.

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