
नव वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया, जिसमें साल 2020 के उनके फैसलों को International Politics जगत में सबसे अधिक सराहा गया । यानी ‘एक बार फिर पीएम मोदी का जलवा विश्व के सबसे ताकतवर नेता के रूप में बरकरार रहा’।

नए साल का पहला दिन पीएम मोदी को एक ऐसा गिफ्ट दिया जिसमें उनकी लोकप्रियता विश्व स्तरीय नेता के रूप में और मजबूत हो गई। आइए अब आपको बताते हैं आखिर क्या ऐसा क्या हुआ कि वर्ष 2021 की शुरुआत में ही पीएम मोदी International Politics में छा गए। दुनिया के नेताओं की उनके कार्यकाल में स्वीकृति पर नजर रखने वाली डाटा फर्म के सर्वे के मुताबिक पीएम मोदी 55 फीसदी स्वीकृति रेटिंग के साथ सबसे ऊपर हैं।
अमेरिकी मॉर्निंग कंसल्ट नामक फर्म के नए सर्वे के अनुसार 75 फीसदी लोगों ने नरेंद्र मोदी का समर्थन किया जबकि 20 फीसदी ने उन्हें स्वीकार नहीं किया। जिससे उनकी कुल स्वीकृति ‘रेटिंग 55’ रही है जो सबसे ज्यादा है। बता दें कि उनके आसपास कोई भी नेता नजर नहीं आया । जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की रेटिंग 24 फीसदी रही जबकि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की रेटिंग को सबसे खराब माना गया।(International Politics)
मॉर्निंग कंसल्ट पॉलिटिकल इंटेलिजेंस ने वर्तमान में 13 देशों ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका के नेताओं की स्वीकृति रेटिंग जारी की है।बता दें कि यह एजेंसी दुनिया भर के नेताओं और सरकार की अप्रूवल रेटिंग जारी करती है।(International Politics)
कठिन फैसलों ने प्रधानमंत्री को बनाया विश्व स्तरीय ताकतवर नेता
यहां हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई कठिन फैसलों ने उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताकतवर नेता के साथ एक शानदार छवि बनाई है । भारत में जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी तब पीएम मोदी के किए गए फैसलों पर विश्व स्तरीय नेताओं ने खूब प्रशंसा की थी।(International Politics)
यही नहीं जब पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा में चक्रवात आया तब पीएम मोदी की तैयारियों को भी देश-विदेशों में खूब प्रशंसा हुई । ‘इसका सीधा अर्थ है कि पीएम मोदी आज भी विश्व के सबसे ताकतवर नेता बने हुए हैं और विश्व राजनीति जगत में उनके समर्थन करने वाले ज्यादा हैं’ ।(International Politics)
जब कोरोना महामारी ने समाज और देश की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया, वहीं ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आपदा’ को अवसर में बदलने का आह्वान बीजेपी के लिए फायदे का सौदा साबित हुआ, इस आपदा काल में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से चलाए गए अभियान की बदौलत देश में भगवा दल ने नए क्षेत्रों में अपनी पैठ बनाई’ । वहीं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखा जाना और ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनाने की बीजेपी की मांग ने उसके हिंदू वोट बैंक को और मजबूत करने में मदद की।(International Politics)
फिलहाल किसानों के आंदोलन ने पीएम मोदी की बढ़ा दी है मुसीबत
एक तरफ पीएम मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे लोकप्रिय नेता स्वीकार किया गया है तो दूसरी ओर देश में किसानों का विरोध भी झेलना पड़ रहा है । किसानों के सवा महीने से अधिक कड़कड़ाती ठंड में दिल्ली बॉर्डर पर डटे रहने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख प्रभावित हो रही है, दूसरी ओर पीएम मोदी को भी आलोचना झेलनी पड़ी है।(International Politics)
कनाडा, ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों ने किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए पीएम मोदी जल्द फैसला लेने की भी सलाह दी थी । हालांकि पीएम मोदी विरोध प्रदर्शन कर रहे देश के किसानों से लगातार अपील कर रहे हैं लेकिन किसान कृषि कानून को रद करने के लिए लगातार केंद्र सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं।(International Politics)
‘सही मायने में केंद्र सरकार के लागू किए गए इस कानून ने पीएम मोदी को मुश्किलों में जरूर डाल रखा है, साल के आखिरी समय में किसानों की नाराजगी भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है’ । अभी पिछले दिनों हरियाणा के नगर निकाय चुनावों परिणामों में भाजपा को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी, दूसरी ओर केरल विधानसभा में आयोजित सत्र के दौरान भाजपा के एक विधायक ने कृषि कानून के विरोध में अपना वोट दिया है।(International Politics)
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