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राष्ट्रहित के मुद्दों और इमरजेंसी हालातों के दौरान भी देश में एक राय न बन पाना चिंताजनक है । आए दिन देखने को मिलता है कि व्यर्थ की बातों को इतना तूल दे दिया जाता है कि इसका असर देश की छवि पर क्या पड़ेगा यह भी नहीं सोचते । अब बात को आगे बढ़ाते हैं । कुछ दिनों पहले तक जब पूरे देश को कोरोना महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन का इंतजार कर रहा था, यही नहीं लोग इस टीके को लेकर बहुत उत्साहित थे ।

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‘पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने वैक्सीन को लॉन्च करने की घोषणा करने के कुछ घंटे बाद ही इस पर राजनीतिक रंग चढ़ना शुरू हो गया’ । कांग्रेस, समाजवादी पार्टी ने इस वैक्सीन को भारतीय जनता पार्टी का बताकर देशवासियों के सामने शंका और नफरत बढ़ाने का काम किया, हालांकि भाजपा के नेता भी इसमें पीछे नहीं रहे ।

वैक्सीन को लेकर सियासी घमासान का असर सोशल मीडिया पर भी देखा जा रहा है । यही नहीं जिम्मेदार नेताओं का गैर जिम्मेदाराना हरकत के बाद इस वैक्सीन को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं । नेताओं की जुबानी जंग के बाद इसकी सियासी तपिश सीरम कंपनी और भारत बायोटेक के बीच भी शुरू हो गई।

राजनीतिक दलों की टीका टिप्पणी के बाद अब वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के बीच भी बवाल शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत सीरम कंपनी के मालिक अदर पूनावाला नेे की तो भारत बायोटेक कंपनी के मालिक भी जवाबी हमले करने में पीछे नहीं रहे । आइए अब आपको बताते हैं दोनों में छिड़ी लड़ाई की शुरुआत कहां से हुई ।

अदर पूनावाला ने तीन वैक्सीन को ही कारगर बताते हुए बाकी को बेकार बताया

आपको बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी के मालिक अदर पूनावाला ने सोमवार को एक साक्षात्कार के दौरान दुनिया में तीन वैक्सीन को ही कोविड-19 से लड़ने में कारगर बताया । जिसमें फाइजर ,मॉडर्न और एस्ट्राजेनेका शामिल हैं, बाकी सारे वैक्सीन पानी की तरह हैं । हालांकि उन्होंने भारत बायोटेक कंपनी का नाम नहीं लिया, लेकिन पूनावाला ने इशारों-इशारों पर उन पर हमला बोला ।

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बात को आगे बढ़ाएं उससे पहले बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन का नाम ‘कोविशील्ड’ तो भारत बायोटेक कंपनी की वैक्सीन का नाम ‘कोवैक्सीन’ है । पूनावाला के इस भेदभाव वाले बयान के बाद भारत बायोटेक के निदेशक डॉ कृष्णा इल्ला ने कहा कि हमने ईमानदारी से परीक्षण किए हैं, इसके बावजूद भी हमारी आलोचना की जा रही है।

कुछ कंपनियों ने तो हमारी वैक्सीन को पानी की तरह बता दिया। उन्होंने कहा कि हम भी वैज्ञानिक हैं । कृष्णा ने कहा कि अमेरिका, यूरोप ने यूके के एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के परीक्षण डेटा को मंजूर करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि वह स्पष्ट नहीं था लेकिन कोई भी ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के डेटा पर सवाल नहीं उठा रहा था।

भारत की छवि खराब होने पर दोनों वैक्सीन कंपनियों में आखिरकार हुई सुलह

बता दें कि वैक्सीन कंपनियों के बीच जारी विवाद से देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में भारत की छवि खराब हो रही थी । आखिरकार केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय के दखल के बाद अब कोरोना वैक्सीन बनाने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक के बीच चल रहा टकराव खत्म होता दिखाई दे रहा है। दोनों कंपनियों ने मंगलवार को साझा बयान जारी किया है।

दोनों ही संस्थानों ने पूरे देश में सही तरीके से कोरोना वैक्सीन पहुंचाने के प्रयासों की बात कही है। बता दें कि एक दिन पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख पूनावाला ने कहा था कि भारत कई महीनों तक ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राएनेका की कोरोना वायरस वैक्सीन के निर्यात की अनुमति नहीं देगा। हालांकि अब अपने बयान के एक दिन बाद अदर पूनावाला ने स्पष्टीकरण जारी किया है।

बता दें कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने कुछ दिन पहले ही भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ और सीरम इंस्टीट्यूट की ‘कोविशील्ड’ को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को बधाई देते हुए कहा था कि सीरम इंस्टीटयूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन से कोरोना को खत्म करने का रास्ता साफ हो गया है।

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