
लखनऊ। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर के सेवा निवृत्त कार्मिकों के पेंशन भुगतान का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। पेंशनर्स कल्याण समिति उ। प्र। गन्ना शोध परिषद ने परिषद के निदेशक डॉ ज्योत्सनेंद्र सिंह से वार्ता की मांग की है। निदेशक को भेजे गए पत्र में समिति ने ठोस समझौते पर पहुंचने के बाद न्यायिक अथवा अन्य गतिविधियों पर विराम लगाने की बात कही है।
पेंशनर्स कल्याण समिति ने निदेशक को भेजे गए पत्र में कुल आठ विन्दुओं पर ध्यान आकृष्ट किया है। समिति जानना चाहती है कि उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के सेवानिवृत्त कार्मिकों को पेंशन की देयता पर क्या अब भी कोई विवाद शेष है? इस मद में बजट प्रबंधन का दायित्व किसका है?
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समिति का कहना है कि परिषद गठन के समय ही उत्तर प्रदेश राज्य कर्मियों के लिए तत्सम्बन्धी प्रचलित नीति को अंगीकृत किया जा चुका है। नियम -21 इसी पर आधारित है जिसका उल्लेख परिषद के कार्मिकों को पेंशन के सम्बंध में तत्कालीन प्रमुख सचिव नेतराम द्वारा निर्गत प्रथम शासनादेश में स्पष्ट रूप से किया गया है।
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समिति का कहना है कि परिषद गठन के मूल शासनादेश में बजट प्रबंधन के बारे में स्पष्ट किया गया है। इसके अनुसार शासन परिषद की कुल वार्षिक आय की सम्पूर्ण धनराशि को परिषद के वार्षिक कुल बजट की धनराशि (जिसमें पेंशन भी शामिल होगी) से घटाकर बजट अवमुक्त कर सकता है। वार्षिक आधार पर पूर्व की भाँति राज्य सहायता कोष से सहायता जारी रखी जा सकती है। प्रदेश की अन्य स्वशासी संस्थाओं की भांति “समेकित निधि” से व्यवस्था की जा सकती है।