महाभारत काल के अहम किरदार महात्मा विदुर (Vidur Niti) बहुत ही बुद्धिमान और दूरदर्शी व्यक्ति थे। वे कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ ही हस्तिनापुर के महामंत्री भी थे। महाराजा धृतराष्ट्र उनके साथ धन, गृहस्थ, राजनीति जैसे सभी मामलों पर सलाह लिया करते थे। महाराजा धृतराष्ट्र के साथ महात्मा विदुर द्वारा की गई इन्हीं बातों का संकलन ही विदुर नीति है। विदुर नीति में ऐसी कई बातों का जिक्र किया गया है जो आज भी प्रासंगिक हैं। उनके ये विचार तत्कालीन समय के साथ-साथ मौजूदा समय में भी बेहद काम के हैं। कहते हैं जो भी इनका सही ढंग से पालन करता है वह किसी भी क्षेत्र में असफल नहीं होता है।
विदुर नीति (Vidur Niti) में कहा गया है कि हर व्यक्ति को उसके मान –सम्मान दिलाते हैं। वे कहते हैं कि अगर व्यक्ति अगर जीवन के इन नियमों का सही ढंग से पालन करें तो उसे सफलता भी मिलती और धन भी प्राप्त होता है। महात्मा विदुर ने कुछ ऐसे ही नियमों का जिक्र किया गया है जो जीवन के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं। विदुर नीति के ये नियम व्यक्ति को हर कार्य में सफलता तो दिलाते ही है। आइये जानते हैं क्या हैं वे नियम
श्लोक:
निषेवते प्रशस्तानि निन्दितानि न सेवते। अनास्तिकः श्रद्दधान एतत् पण्डितलक्षणम्।।
महात्मा विदुर (Vidur Niti) कहते हैं कि जो लोग प्रशंसनीय काम करते और निंदनीय कार्यों से दूर रहते हैं और जो नास्तिक विचारों के नहीं होते हैं, जो सच्चे विचारों को अपने जीवन में उतारते हैं और जिनमें पंडित के लक्ष्ण दिखाई देते हैं।
वे कहते हैं आमतौर पर लोग नास्तिक का अर्थ ईश्वर में विश्वास न करना मानते हैं लेकिन यह नास्तिक का संकुचित अर्थ है। नास्तिक का व्यापक अर्थ है ‘सांसारिक जीवन से परे भी कुछ है, व्यक्ति को इसमें विश्वास करना चाहिए, इसी को आस्तिकता कहते हैं। विदुर कहते हैं कि जीवन से परे और भी कुछ है, इस कुछ का ज्ञान न होने पर भी इसमें विशवास करना ही आस्तिकता है, जो मनुष्य अपना जीवन यापन इन्हीं के आधार पर करता है, उसे समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है। साथ ही उसे उसके हर कार्य में सफलता भी मिलती है, उन्हें धन-दौलत की कभी कमी नहीं होती है।(Vidur Niti)
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