पीएम मोदी और ट्रंप ने बनाई रणनीति, इमरान सरकार की हालत खराब, अब पीओके लिए डर…

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नई दिल्ली ।। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 22 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में शामिल होंगे। ह्यूस्टन में प्रधानमंत्री भारतीय समुदाय को संबोधित करने वाले हैं। यह काफी बड़ा कार्यक्रम है, जिसमें 50 हजार से ज्यादा दर्शक शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में ट्रंप के जाने की अटकलें काफी दिनों से थी, मगर अब पुष्टि हो गई है।

ट्रंप कार्यक्रम में क्यों जा रहे हैं, इसके जवाब में अमेरिका ने कहा है कि हमारा मकसद दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करना है। मगर अंदर की बात कुछ और है। अमेरिका में इसी साल चुनाव होने हैं और चुनाव में भारतीय काफी प्रभावशाली होते हैं। इसी वजह से ह्यूस्टन में जब मोदी के साथ ट्रंप होंगे, तो वे जाने-अनजाने अपना प्रचार भी कर लेंगे। मंच पर जब मोदी होंगे तो उनका मकसद काफी हद तक पूरा भी हो जाएगा।

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अयोध्या केस की सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच मामले में रोचक मोड़ आ गया है। 23 दिन की सुनवाई बीतने के बाद अब दोनों तरफ (हिंदू और मुस्लिम) के पक्ष फिर से कोर्ट के बाहर बातचीत से मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं। इसके लिए दो प्रमुख पार्टियों (सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा) ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता पैनल को पत्र लिखा है। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले मध्यस्थता से हल निकालने के लिए पैनल बनाया था। 155 दिनों तक कोशिशें भी हुईं, लेकिन कोई हल नहीं निकला। अब अगर फिर से सुलह की कोशिशों को परवान चढ़ाया जा रहा है, तो इसका समर्थन करना चाहिए।

दिल्ली के लुटियन्स जोन में 80 से ज्यादा सांसदों ने लोकसभा के एक पैनल से कड़ी चेतावनी मिलने के बाद भी आधिकारिक बंगले खाली नहीं किए हैं। लोक आवास (अनाधिकृत कब्जा खाली कराना) अधिनियम के तहत सरकार इन पूर्व सांसदों पर कार्रवाई करने पर विचार कर रही है।

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सीआर पाटिल के नेतृत्व में लोकसभा आवास समिति ने 19 अगस्त को करीब 200 पूर्व सांसदों को एक सप्ताह के भीतर बंगला खाली करने का आदेश दिया था और ऐसा नहीं होने पर तीन दिन के भीतर बिजली, पानी और गैस कनेक्शन काटने का आदेश दिया था। मिति के आदेश के बाद ज्यादातर पूर्व सांसदों ने आधिकारिक बंगले खाली कर दिए लेकिन 82 पूर्व सांसदों ने अब भी मौजूदा सूची के मुताबिक बंगला खाली नहीं किया है।

मोदी सरकार ऑफिस ऑफ प्रॉफिट यानी लाभ का पद की स्पष्ट परिभाषा तय करने के लिए एक संविधान संशोधन पर विचार कर रही है। इसके तहत बताया जाएगा कि कौन सी श्रेणियां इसके दायरे में नहीं होंगी। साथ ही, ऐसे किसी भी पद से जुड़ी शर्तों को साफ-साफ बताया जाएगा।

करीब एक दशक पहले लाभ का पद से जुड़े विवाद में सोनिया गांधी को संसद की सदस्यता और नेशनल अडवाइजरी काउंसिल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था। अनुच्छेदों 102 और 191 के तहत लाभ का पद की परिभाषा तय करने के लिए संविधान संशोधन के इरादे से एक विधेयक पर संबंधित मंत्रालयों के बीच चर्चा का दौर हाल में शुरू किया गया है।

इसके जरिए यह तय किया जाएगा कि किन चीजों से कोई पद लाभ का पद माना जाएगा, जिससे विधायिका के किसी सदस्य की स्वतंत्रता पर आंच आ सकती है और किन चीजों से ऐसा कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

फोटो- फाइल

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