लोकसभा उप-चुनाव में कांग्रेस कर सकती है सपा प्रत्यासियों का समर्थन, बैठक शुरू

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नई दिल्ली।। भारतीय जनता पार्टी के बढ़ते रथ को रोकने के जहाँ एक ओर 22 साल बाद सपा और बसपा एक जुट हो गयी हैं वहीँ कांग्रेस में भी समाजवादी पार्टी के प्रत्यासी को समर्थन देने की दिशा में विचार विमर्श शुरू हो गया है। राष्ट्रीय लोक दल के समर्थन के बाद अब पूरा विपक्ष एकजुटता की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। कांग्रेस हर कीमत पर भाजपा को रोकना चाहती है और ऐसे में अब भाजपा को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश के लोकसभा उप-चुनाव में वह सपा प्रत्यासी का समर्थन कर सकती है।

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बहुजन समाज पार्टी ने पहले ही इस उप-चुनाव के लिए दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी के समर्थन का ऐलान किया है। दरअसल, दोनों दलों के बीच राज्यसभा व विधान परिषद की सीटों को लेकर आपसी समझौता हो चुका है। वहीँ बसपा के बाद आरएलडी ने भी समाजवादी पार्टी को सपोर्ट करने का निर्णय लिया है। कई छोटे दल पहले ही सपा को समर्थन देने की घोषणा कर चुकें हैं।

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अब कांग्रेस से भी इस तरह के संकेत आ रहे हैं कि वह भी समाजवादी पार्टी के प्रत्यासी को अपना समर्थन दे सकती है। सूत्रों की मानें तो, कांग्रेस के भीतर इस मुद्दे को लेकर विचार विमर्श चल रहा है। हालांकि 11 मार्च को होने वाली वोटिंग के मद्देनजर इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के अंदर दो मत हैं। एक मत के मुताबिक, अब देर हो चुकी है और कांग्रेस को आगे बढ़ना चाहिये।

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वहीँ राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी का कहना है कि कांग्रेस वहां काफी मेहनत कर रही है, पूरी तैयारी से हम चुनाव लड़ रहे हैं, हमें उम्मीद है कि हम जीतेंगे। जबकि दूसरा धड़ा मानता है कि भाजपा को रोकने के लिए जब सभी दल आपस में मिल रहे हैं तो कांग्रेस को भी ऐसे में दूर नहीं रहना चाहिये। खासकर इस धड़े के लोगों की दलील है कि जब विपक्ष वर्ष 2019 में भाजपा के खिलाफ एकजुट होने और बड़े गठबंधन के विकल्प की ओर बढ़ रहा हो तो ऐसे में मिलकर आगे बढ़ने में ही समझदारी है।

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पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि अगले आम चुनावों में उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा सहित सभी विपक्षी दलों के साथ तालमेल होने की संभावना है, इसलिए ऐसे किसी भी गठबंधन की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। गौरतलब है कि लोकसभा उप-चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल को लेकर पहले भी कोशिश हुई थी।

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कांग्रेस का शुरू से ही मानना रहा है कि यूपी में भाजपा को अकेले नहीं हराया जा सकता। इसलिए उसने एक-एक सीट के फॉर्म्युले के साथ समाजवादी पार्टी के साथ जाने का प्रस्ताव रखा था। हालाँकि इस पर बातचीत भी हुई, लेकिन बात बनी नहीं और अंत मेंफिर कांग्रेस ने दोनों सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया।

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पार्टी के सूत्रों का कहना है कि इस सम्बन्ध में अंतिम फैसला आलाकमान को लेना है। अब संकेत मिल रहे हैं कि अगले एक दिन में इस पर कोई फैसला हो सकता है, जिसमें कांग्रेस अपने उम्मीदवार भले ही मैदान में रहने दे, लेकिन इसके साथ ही वह समाजवादी पार्टी के समर्थन का ऐलान कर दे।

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