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गर्मी बढ़ने के साथ देश के कई हिस्सों में जल संकट गहराता जा रहा है। ओडिशा के नबरंगपुर जिले के पापड़ाहांडी ब्लॉक स्थित आदिवासी बहुल गांव बदाबरली इस समय गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। यहां हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि लोग न केवल पेयजल के लिए संघर्ष कर रहे हैं, बल्कि युवाओं की शादी जैसे सामाजिक पहलुओं पर भी इसका असर साफ दिख रहा है।
पीने के पानी के लिए 2 किलोमीटर की दूरी तय करने को मजबूर लोग
गांव के 200 से ज्यादा परिवारों को हर दिन पीने के पानी के लिए दूर-दराज तक पैदल चलना पड़ता है। गांव के सभी हैंडपंप खराब हो चुके हैं और नजदीक में कोई तालाब या कुआं भी नहीं है। लोग झरनों या आसपास के गांवों से पानी लाने को मजबूर हैं, जिससे उनकी दिनचर्या पूरी तरह प्रभावित हो गई है।
शादी टल रही है, महिलाएं ससुराल छोड़ रही हैं
स्थानीय निवासी रवींद्र नाग के अनुसार, पानी की भारी कमी के कारण लोग अपनी बेटियों की शादी इस गांव में करने से इंकार कर रहे हैं। गांव में लगभग 80 युवा अब भी अविवाहित हैं। कई महिलाएं विवाह के कुछ ही दिनों बाद ससुराल छोड़ चुकी हैं क्योंकि वे इस कठिन स्थिति का सामना नहीं कर पा रहीं।
प्रशासन से गुहार, लेकिन अब तक समाधान नहीं
गांव वालों का कहना है कि उन्होंने कई बार जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इस संकट के बारे में बताया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। गांव को 'वॉटर स्कार्सिटी रेड ज़ोन' घोषित किया गया है, बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई है।
वॉटर प्रोजेक्ट अटका, पाइपलाइन के लिए अनुमति नहीं मिली
बदाबरली समेत पापड़ाहांडी ब्लॉक के 50 गांवों के लिए एक मेगा ड्रिंकिंग वॉटर प्रोजेक्ट की योजना तैयार की गई थी, लेकिन नेशनल हाइवे डिपार्टमेंट से पाइपलाइन बिछाने की अनुमति न मिलने के कारण यह योजना अटक गई है।
RWSS विभाग का जवाब और गांव वालों की चेतावनी
RWSS के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर प्रतीक कुमार राउत ने बताया कि गांव हाइड्रोलॉजिकल मैप के आधार पर रेड जोन में आता है। पहले यहां 4 ट्यूबवेल थे, जिनमें से अब सिर्फ एक ही काम कर रहा है। विभाग की कोशिश है कि जून तक पापड़ाहांडी ब्लॉक के सभी गांवों तक पानी की आपूर्ति शुरू की जाए। दूसरी ओर, गांव वालों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन करेंगे।
सरकार के लिए एक चेतावनी संकेत
बदाबरली की स्थिति महज एक गांव की कहानी नहीं है, बल्कि यह जल आपूर्ति की असमानता और उपेक्षा की ओर इशारा करता है। जब सड़क और बिजली गांव तक पहुंच सकती है, तो पीने का पानी क्यों नहीं? सरकार को इस दिशा में तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, वरना यह संकट और गंभीर हो सकता है।