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Up Kiran, Digital Desk: पाकिस्तान इस समय भीषण जल संकट से जूझ रहा है। कृषि का खरीफ सीजन शुरू होते ही देश के कई हिस्सों में पानी की कमी महसूस की जा रही है। पहले से ही आर्थिक तंगी और कर्ज के बोझ तले दबे पाकिस्तान के लिए हालात और भी खराब होते जा रहे हैं। हाल ही में भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने से यह संकट और बढ़ गया है।
भारत की कड़ी चेतावनी
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है। सीमा पार आतंकवाद को रोकने में विफल रहने के कारण भारत ने सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सख्त बयान देकर भारत की स्थिति स्पष्ट कर दी है कि "खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते"।
बांधों के जल भंडार आधे से अधिक भर गए
सिंधु नदी प्रणाली के प्रमुख बांधों में से मंगला और तरबेला बांधों में जल स्तर गंभीर स्तर पर आ गया है। सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण (आईआरएसए) के अनुसार, मंगला बांध की कुल क्षमता 5.9 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) है और वर्तमान में केवल 2.7 एमएएफ पानी बचा है। जबकि, तरबेला बांध की क्षमता 11.6 एमएएफ है और इसमें केवल 6 एमएएफ पानी बचा है।
खरीफ सीजन खतरे में
पानी की कमी के कारण खरीफ फसलों की बुवाई खतरे में है। सिंधु नदी के पानी पर निर्भर पंजाब और सिंध प्रांतों में सिंचाई और बिजली उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। भारत द्वारा चिनाब नदी से पानी के प्रवाह में कमी करना भी पाकिस्तान के लिए परेशानी का सबब बन रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की किरकिरी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने वैश्विक स्तर पर पानी के मुद्दे पर आवाज उठानी शुरू कर दी है। हालांकि उन्होंने बार-बार भारत से बातचीत का अनुरोध किया है, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर के मुद्दे पर ही बातचीत होगी।
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