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Up Kiran, Digital Desk: बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और आईजीआईएमएस के शासी निकाय के अध्यक्ष मंगल पांडेय ने हाल ही में क्षेत्रीय चक्षु संस्थान में नई स्वास्थ्य सुविधाओं का उद्घाटन किया। इस अवसर पर स्थानीय विधायक संजीव चौरसिया और विधान पार्षद नवल किशोर यादव भी मौजूद थे। यह आयोजन राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार और उनकी गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता बढ़ रही है।

सितंबर 2024 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के द्वारा इस परियोजना की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत क्षेत्रीय चक्षु संस्थान को और अधिक सशक्त बनाने के लिए कई योजनाओं पर काम चल रहा था। इस नई पहल के तहत 24 घंटे की इमरजेंसी सेवा शुरू करना एक प्रमुख उद्देश्य था। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने समारोह के दौरान बताया कि अब क्षेत्रीय चक्षु संस्थान में मरीजों को आधुनिक अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे और आंखों की जांच जैसी सुविधाएं मिलेंगी। इसके साथ ही दो मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर भी उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अतिरिक्त, एक अत्याधुनिक ल्यूमेरा-आई माइक्रोस्कोप भी स्थापित किया गया है, जो आपातकालीन सर्जरी के दौरान डॉक्टरों को अधिक गति और सटीकता प्रदान करेगा, जिससे मरीजों को त्वरित उपचार मिलेगा।

स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि आईजीआईएमएस में अब लैब सर्विसेज भी शुरू कर दी गई हैं, जिनमें पीसीआर, बायोकेमिकल एनालाइजर और एबीजी मशीन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। इन सेवाओं के द्वारा मरीजों को एक ही स्थान पर सभी आवश्यक जांच सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जिससे उन्हें समय और ऊर्जा की बचत होगी। उन्होंने यह भी घोषणा की कि बहुत जल्द संस्थान में 100 बेड वाला एक डेंटल अस्पताल और 50 सीटों वाला एक डेंटल कॉलेज भी स्थापित किया जाएगा।

इस अवसर पर रेटिना और ग्लूकोमा सर्विसेज का भी उद्घाटन हुआ। रेटिना सेवा के तहत अब 30 दिन के नवजात से लेकर वृद्धों तक सभी मरीजों का इलाज संभव होगा। वहीं, ग्लूकोमा सेवा में एक्स्ट्रा फील्ड एनालाइजर, स्पेक्यूलर माइक्रोस्कोप और अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, जो इस बीमारी के इलाज में सहायक होंगी। मंत्री पांडेय ने बताया कि इन नई सुविधाओं के लिए कुछ उपकरण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से प्राप्त किए गए हैं, जबकि कुछ संस्थान ने अपने स्तर पर खरीदे हैं। इन सभी सुविधाओं की स्थापना में करीब 10 करोड़ रुपये की लागत आई है।