Up Kiran, Digital Desk: सरकार ने कपास के आयात पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी में छूट को 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारतीय निर्यातों पर 50% का भारी टैरिफ लगा दिया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य कपड़ा उद्योग के लिए कपास की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना है, जिससे निर्माता लंबे समय के लिए आयात ऑर्डर दे सकें।
पहले यह छूट केवल 30 सितंबर तक के लिए ही वैध थी। निर्यातकों का कहना था कि इतने कम समय में उन्हें कोई खास फायदा नहीं मिल पाता। उद्योग जगत लंबे समय से कपास के आयात पर शुल्क हटाने की मांग कर रहा था, हालांकि सरकार ने छोटे किसानों के हितों की रक्षा के लिए आमतौर पर 11% का शुल्क बनाए रखा है।
इस फैसले का समय कपास किसानों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि अक्टूबर से मार्च तक कपास की चुनाई का मौसम होता है। विश्लेषकों का यह भी मानना है कि यह निर्णय वाशिंगटन को एक संकेत है कि भारत कपास व्यापार पर बातचीत के लिए तैयार हो सकता है।
उद्योग निकायों ने अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है और नौकरियों के जाने और ऑर्डर रद्द होने की चेतावनी दी है। इस बीच, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों के अमेरिकी कपड़ा आयात में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है, जबकि भारत की निर्यात गति धीमी हो गई है।
भारत का कपड़ा क्षेत्र काफी हद तक कपास पर निर्भर है, जो देश के कपड़ा निर्यात में लगभग 80% का योगदान देता है और लगभग 3.5 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। सरकार ने 2030 तक निर्यात को दोगुना कर 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
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