Waqf Amendment Bill: राज्यसभा ने तीन अप्रैल को वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लंबी बहस के बाद 128-95 मतों से मंजूरी दे दी। इसके साथ ही संसद ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024 को भी हरी झंडी दिखा दी। लोकसभा ने इसे बुधवार देर रात करीब 2 बजे पारित किया था। सरकार इसे गरीब और पसमांदा मुसलमानों के साथ-साथ मुस्लिम महिलाओं के लिए क्रांतिकारी कदम बता रही है, मगर विपक्ष के संशोधन खारिज होने के बाद सवाल गूंज रहा है कि क्या यह विधेयक वाकई मुस्लिम समुदाय के हित में है या सिर्फ सियासी शोर? आइए इसके प्रावधानों की पड़ताल करते हैं।
पहला फायदा
सरकार का दावा है कि ये विधेयक वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता की नई बयार लाएगा। एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल वक्फ संपत्तियों पर नजर रखेगा, जिससे कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। एक लाख रुपए से ज्यादा आय वाले वक्फ संस्थानों के लिए ऑडिट अनिवार्य होगा। साथ ही सख्त दस्तावेजीकरण से भू-माफियाओं के फर्जी दावों पर अंकुश लगेगा। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने कहा कि ये कदम वक्फ संपत्तियों को लूट का अड्डा बनने से रोकेगा। अब हर पाई का हिसाब होगा।
दूसरा फायदा
विधेयक में वक्फ संपत्तियों से होने वाली आय को गरीब और पसमांदा मुसलमानों के कल्याण के लिए इस्तेमाल करने का वादा है। महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों को भी मजबूत किया गया है- अब वक्फ घोषणा से पहले उन्हें अपना हक मिलेगा। केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्ड में महिलाओं (कम से कम 2) और पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा। सरकार का तर्क है कि इससे समावेशिता बढ़ेगी और मुस्लिम समाज के हाशिए पर पड़े तबके सशक्त होंगे।
तीसरा फायदा
लंबे समय से अटके वक्फ संपत्ति विवादों के लिए नया रास्ता खुला है। विधेयक में राइट टू अपील का प्रावधान है, जिसके तहत पीड़ित पक्ष न्यायाधिकरण के फैसले से असंतुष्ट होने पर हाई कोर्ट जा सकेगा। तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण त्वरित समाधान देंगे। एक अधिकारी ने कहा कि ये कदम कोर्ट में लटके हजारों मामलों को खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम है।
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