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Up Kiran, Digital Desk: लगभग 300 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, नौकरशाहों, पूर्व सैन्य अधिकारियों और राजनयिकों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों में दावा किया गया है कि विपक्षी दल चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि अपने 'वोट चोरी' के अभियान को बढ़ावा दिया जा सके।

इस समूह ने एक खुला पत्र जारी करते हुए कहा कि राहुल गांधी और उनके साथियों द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। उनका मानना है कि ये आरोप केवल राजनीतिक हताशा को छुपाने के लिए उठाए गए हैं और देश की संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।

क्या कहा गया है पत्र में?
इस पत्र में हस्ताक्षर करने वाले 272 व्यक्तियों का कहना है कि कुछ राजनीतिक नेता अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए निराधार आरोपों का सहारा ले रहे हैं। उन्होंने कहा, "देश की महत्वपूर्ण संस्थाओं पर हमला किया जा रहा है, और इसके पीछे कोई वास्तविक नीतिगत प्रस्ताव नहीं हैं।" उन्होंने आरोप लगाया कि यह राजनीति की नकारात्मक प्रवृत्ति का हिस्सा है, जो केवल लोगों को गुमराह करने का काम करती है।

क्या है आरोपों का सार?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी पार्टी द्वारा चुनाव आयोग पर किए जा रहे लगातार हमलों को लेकर पत्र में कहा गया है, "राहुल गांधी ने बार-बार चुनाव आयोग पर आरोप लगाए हैं कि वह भाजपा के प्रभाव में काम कर रहा है और वोट चोरी में शामिल है।" पत्र में कहा गया कि ये आरोप न केवल चुनाव आयोग के खिलाफ हैं, बल्कि वे भारतीय लोकतंत्र की नींव को भी कमजोर करने की कोशिश हैं।

इसके अलावा, राहुल गांधी के 'एटम बम' वाले बयान को भी पत्र में अविश्वसनीय और अशिष्ट बताया गया है। हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि इतना गंभीर आरोप लगाने के बावजूद, कांग्रेस ने अब तक कोई ठोस और औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है।

राहुल गांधी और कांग्रेस पर कटाक्ष
पत्र में यह भी कहा गया है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के हमले केवल चुनावी असफलता से उत्पन्न क्रोध को दर्शाते हैं। इन नेताओं ने चुनावी नतीजों पर निरंतर सवाल उठाए हैं, लेकिन जब राज्य में सरकार उनके पक्ष में होती है, तो चुनाव आयोग की आलोचना गायब हो जाती है।

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि कुछ राज्यों में जब विपक्षी दल जीतते हैं, तो चुनाव आयोग की आलोचना कम हो जाती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या यह आक्रोश केवल अवसरवादिता का हिस्सा है?

भारत के चुनाव आयोग की साख पर सवाल
इस पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों टीएन शेषन और एन गोपालस्वामी का भी जिक्र किया और उनकी तारीफ की। उन्होंने कहा कि उनके अडिग नेतृत्व ने चुनाव आयोग को एक मजबूत संवैधानिक प्रहरी में बदल दिया था, जो अब ऐसी निराधार आलोचनाओं का सामना कर रहा है।

क्या है कांग्रेस की प्रतिक्रिया?
कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों का बचाव करते हुए कहा है कि आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया के दौरान उचित तरीके से काम नहीं किया है। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग को भाजपा के प्रभाव से बाहर आकर निष्पक्षता से काम करना चाहिए।