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Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली में एक चौंकाने वाला साइबर अपराध का मामला सामने आया है, जहां धोखेबाजों ने 'डिजिटल गिरफ्तारी' के नाम पर एक सेवानिवृत्त बैंकर से 23 करोड़ रुपये ठग लिए। पीड़ित का नाम नरेश मल्होत्रा है, जो पहले एक प्रमुख निजी बैंक में वरिष्ठ पद पर कार्यरत थे।

फर्जी कॉल से शुरू हुआ खेल

पूरा मामला एक रहस्यमयी फोन कॉल से शुरू हुआ। कॉल पर मौजूद महिला ने खुद को टेलीकॉम कंपनी की अधिकारी बताया और आरोप लगाया कि मल्होत्रा का नंबर आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहा है। इसके बाद पीड़ित को एक के बाद एक वीडियो कॉल और ऑडियो कॉल आने लगे।

पुलिस, ईडी और सीबीआई बनकर डराया गया

धोखेबाजों ने खुद को मुंबई पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सीबीआई का अधिकारी बताया। मल्होत्रा को धमकाया गया कि यदि उन्होंने सहयोग नहीं किया तो उन्हें कानूनी सजा भुगतनी होगी। उन्हें "डिजिटल गिरफ्तारी" में डाला गया, यानी बिना कहीं ले जाए, उन्हें एक महीने तक मानसिक रूप से क़ैद कर लिया गया।

कैसे लुटे गए 23 करोड़?

डर और धमकी के बीच मल्होत्रा से कहा गया कि वो अपनी "काली कमाई" को जांच एजेंसियों को सौंप दें। इस दबाव में आकर उन्होंने कोटक महिंद्रा, एचडीएफसी और केनरा बैंक सहित कई खातों से रकम ट्रांसफर की। कुल मिलाकर, 23 करोड़ रुपये धोखेबाजों के खातों में चले गए।

रिपोर्ट दर्ज करने में हुई देरी

शुरुआत में मल्होत्रा ने डर और शर्म के कारण मामला दर्ज नहीं कराया। बाद में उन्होंने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर शिकायत की। अब यह केस दिल्ली पुलिस की IFSO (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस) यूनिट को सौंपा गया है।