Up Kiran, Digital Desk: देश में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक और हमलों के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राज्यों के ढीले रवैये पर बेहद सख्त नाराजगी जताई. कोर्ट ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि उसके आदेश के बावजूद कई राज्यों के मुख्य सचिव अदालत में पेश नहीं हुए.
जस्टिस सी. टी. रविकुमार और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने राज्यों को चेतावनी देते हुए कहा, "जब तक कोई खास छूट न दी गई हो, तब तक मुख्य सचिवों को अदालत में मौजूद रहना चाहिए. यह कोई मजाक नहीं है." बेंच ने यह भी साफ कर दिया कि अगली सुनवाई पर अगर कोई मुख्य सचिव बिना किसी ठोस कारण के गैर-हाजिर रहा, तो इसे बहुत गंभीरता से लिया जाएगा.
मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि सभी राज्यों को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाए, जिसमें वे बताएं कि उन्होंने आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं.
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को नोटिस जारी कर चार हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि राज्यों को अपने जवाब में यह बताना होगा कि उन्होंने अब तक Animal Birth Control Rules, 2023 को लागू करने के लिए क्या किया है और कुत्तों के काटने की घटनाओं को रोकने के लिए उनकी क्या योजना है.
अब इस मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी, और उम्मीद है कि तब तक सभी राज्य अपनी रिपोर्ट के साथ कोर्ट में पेश होंगे.
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