Up Kiran, Digital Desk: कोलेस्ट्रॉल यह नाम सुनते ही हमारे दिमाग में हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों का डर बैठ जाता है. इसे हमेशा से हमारी सेहत का दुश्मन माना गया है. लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि यही 'विलेन' कोलेस्ट्रॉल आने वाली पीढ़ी के सुपर-फास्ट कंप्यूटर और गैजेट्स को पावर दे सकता है?
यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत आने वाले मोहाली के नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (INST) के भारतीय वैज्ञानिकों ने यह हैरान कर देने वाला कारनामा कर दिखाया है.
आखिर यह पूरा मामला है क्या?
वैज्ञानिकों की इस टीम ने दिखाया है कि कोलेस्ट्रॉल का इस्तेमाल अगली पीढ़ी की स्पिनट्रॉनिक डिवाइस (Spintronic Devices) बनाने में किया जा सकता है.
सरल भाषा में समझिए 'स्पिनट्रॉनिक्स' क्या है?
अभी हमारे सारे गैजेट्स (फोन, कंप्यूटर) इलेक्ट्रॉन के चार्ज (current) पर काम करते हैं. लेकिन 'स्पिनट्रॉनिक्स' एक एडवांस टेक्नोलॉजी है जो इलेक्ट्रॉन के चार्ज के साथ-साथ उसके 'स्पिन' (एक तरह से उसके घूमने की दिशा) को भी कंट्रोल करती है. इससे बनने वाले डिवाइस बहुत छोटे, बेहद तेज और अविश्वसनीय रूप से कम बिजली की खपत करने वाले होते हैं.
वैज्ञानिकों ने कैसे किया यह कमाल?
कोलेस्ट्रॉल का इस्तेमाल: डॉ. अमित कुमार मोंडल के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने पाया कि कोलेस्ट्रॉल की बनावट ऐसी होती है कि यह इलेक्ट्रॉन के 'स्पिन' को नियंत्रित करने की अनोखी क्षमता रखता है.
बनाया नया नैनो-मटेरियल: उन्होंने कोलेस्ट्रॉल को अलग-अलग धातु के आयनों (metal ions) के साथ मिलाकर एक नया 'नैनो-मटेरियल' बनाया.
इलेक्ट्रॉन का 'फिल्टर': यह नया मटेरियल एक 'फिल्टर' या 'गेटकीपर' की तरह काम करता है, जो इलेक्ट्रॉन को उनके स्पिन के आधार पर अलग-अलग कर सकता है.
सबसे दिलचस्प बात यह है कि वैज्ञानिक सिर्फ एक छोटे से रासायनिक बदलाव (chemical tweak) से यह कंट्रोल कर सकते हैं कि किस स्पिन वाले इलेक्ट्रॉन को आगे भेजना है और किसे रोकना है.
इस खोज से क्या फायदे होंगे?
यह खोज भविष्य की टेक्नोलॉजी के लिए नए दरवाजे खोल सकती है:
सुपर-एफिशिएंट मेमोरी चिप्स: ऐसे कंप्यूटर और फोन बनेंगे जो बहुत कम बिजली की खपत करेंगे, जिससे पर्यावरण को भी फायदा होगा.
बेहतर मेडिकल डिवाइस: बायो-इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में क्रांति आ सकती है, जिससे बीमारियां पकड़ना और इलाज करना और भी सटीक हो जाएगा.
यह खोज इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि कैसे विज्ञान एक ऐसी चीज को, जिसे हम बेकार या हानिकारक समझते हैं, इंसानियत के लिए फायदेमंद बना सकता है

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