Up Kiran, Digital Desk: आसमान में आज थोड़ी ख़ामोशी है... क्योंकि भारतीय वायुसेना का वो सबसे पुराना और सबसे जांबाज साथी अब हमेशा के लिए आराम करने जा रहा है, जिसने 60 सालों तक भारत के आसमान की रक्षा की। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं लड़ाकू विमान मिग-21 (MiG-21) की, जिसे आज एक भावभीनी और सम्मानजनक समारोह में विदाई दी गई।
यह सिर्फ़ एक जहाज़ की विदाई नहीं है, यह एक पूरे युग का अंत है। यह उस 'योद्धा' को सलाम है, जिसने 1971 के युद्ध से लेकर कारगिल की ऊंची चोटियों तक, हर लड़ाई में दुश्मन के दिल में अपनी गरज से ख़ौफ़ भर दिया था।
रक्षामंत्री ने याद किया गौरवशाली इतिहास
इस ऐतिहासिक मौके पर मौजूद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी भावुक दिखे। उन्होंने कहा, "मिग-21 सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि हमारे सशस्त्र बलों की ताकत का एक जीता-जागता प्रतीक रहा है। इसने हमारी वायुसेना को जो महान मजबूती दी है, उसे यह देश कभी नहीं भूल सकता।"
रक्षामंत्री ने उस सुनहरे पल को याद किया, जब 1971 के युद्ध में मिग-21 ने दुश्मन के दांत खट्टे कर दिए थे और भारत की जीत की कहानी लिखने में एक अहम भूमिका निभाई थी। यही नहीं, कारगिल युद्ध (ऑपरेशन सफेद सागर) के दौरान भी दुनिया ने देखा कि कैसे इस विमान ने ऊंची-ऊंची पहाड़ियों के बीच से दुश्मन को खदेड़कर भारतीय सेना की मदद की थी।
चुनौतियों के बावजूद बना रहा 'बाज़ीगर'
मिग-21 का सफर चुनौतियों से भरा रहा। इसके सुरक्षा रिकॉर्ड को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे और इसे 'उड़ता ताबूत' जैसा दुर्भाग्यपूर्ण नाम भी मिला। लेकिन यह हमारे वायुसेना के पायलटों का असाधारण साहस और कौशल ही था, जिन्होंने इस मशीन की हर सीमा को पार करते हुए इसे दुश्मन के लिए एक काल बना दिया। यह विमान हमारे पायलटों की बहादुरी का सबसे बड़ा गवाह है।
आज जब मिग-21 रिटायर हो रहा उसकी जगह तेजस और राफेल जैसे आधुनिक विमान ले रहे हैं। यह विदाई एक अंत है, तो एक नई और ज़्यादा शक्तिशाली शुरुआत का संकेत भी है।
आज हर भारतीय की तरफ से आसमान के इस बाज़ीगर को एक आखिरी सलाम! अलविदा, मिग-21। तुम्हारी गरज हमेशा हमारे दिलों में गूंजती रहेगी।
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