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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बहुप्रतीक्षित मुलाकात किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई। बंद कमरे में चली इस लंबी वार्ता के बाद दोनों देशों ने साझा बयान जारी करने से भी परहेज़ किया, जिससे यह साफ हो गया कि कोई ठोस सहमति नहीं बन सकी। भारत समेत कई देश इस बातचीत के नतीजों पर नजर गड़ाए हुए थे।

हालांकि बैठक के बाद ट्रंप के रुख में कुछ नरमी देखी गई, खासकर भारत को लेकर। ट्रंप, जो पिछले दिनों भारत पर तीखे बयान देते रहे हैं और रूस से तेल आयात को लेकर कड़ा रुख अपना चुके हैं, अब थोड़ा पीछे हटते दिखे। जब उनसे एक इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि क्या भारत पर और टैरिफ लगाए जाएंगे, तो उन्होंने कहा, “अभी इस पर विचार करने की ज़रूरत नहीं है। संभव है दो-तीन हफ्तों में स्थिति की समीक्षा की जाए, लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ नहीं।”

यह बयान फॉक्स न्यूज के साथ बातचीत के दौरान आया, जहां ट्रंप ने यह भी कहा कि "आज जो बातचीत हुई, उसके बाद immediate टैरिफ की जरूरत महसूस नहीं होती।"

ज्ञात हो कि बीते महीने ट्रंप ने रूस से व्यापार करने वाले देशों पर प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी, जिसमें भारत पर 25 प्रतिशत का टैरिफ भी शामिल था। बाद में इसे बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया। इनमें से कुछ शुल्क पहले से लागू हो चुके हैं, जबकि बाकी 27 अगस्त से प्रभाव में आएंगे।

इससे पहले एक इंटरव्यू में ट्रंप ने यह तक कहा था कि रूस ने "एक बड़ा तेल खरीदार खो दिया है", जो स्पष्ट रूप से भारत की ओर संकेत था। उन्होंने इशारा किया कि यदि हालात नहीं सुधरे तो और सख्त आर्थिक कदम उठाए जा सकते हैं, जिससे रूस की स्थिति और अधिक कमजोर हो सकती है।

उधर, अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी कुछ दिन पहले अपने बयान में संकेत दिया था कि यदि अलास्का बैठक अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं देती, तो भारत पर और भी सेकेंडरी टैरिफ लगाए जा सकते हैं। ब्लूमबर्ग टीवी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “हमने पहले ही भारत पर कुछ सेकेंडरी टैरिफ लगाए हैं। अगर डिप्लोमेसी से बात नहीं बनी तो ये और बढ़ाए जा सकते हैं।”

उन्होंने भारत को बातचीत में 'कठिन साझेदार' बताया और कहा कि व्यापार समझौतों पर सहमति बनना आसान नहीं है।

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