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कोरोना वायरस ने दुनियाभर में महामारी की शक्ल अख्तियार कर ली है, जिसके बाद कोरोना वायरस को लेकर फैली भ्रंतियों को दूर करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन  एक बार फिर आगे आया है. शुक्रवार को संगठन ने बताया कि कोविड-19 बीमारी का कारण बनने वाला वायरस मुख्य रूप से ‘श्वसन’ की छोटी बूंदों और निकट संपर्कों’ के माध्यम से फैलता है और ये हवा में लंबे समय तक जीवित नहीं रहता है.

आपको बात दें की दरअसल, देशभर में कोरोना वायरस को लेकर ये अफवाह थी कि कोरोना वायरस मरीज की श्वसन बूंदों से फैल सकता है और वो हवा में भी कई घंटों तक जीवित रह सकता है. शुक्रवार को दिए अपने बयान में WHO ने इसे अर्ध सत्य करार दिया और बताया कि ये हवा में लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता.

ऐसे में इस बीमारी को लेकर WHO ने कहा कि श्वसन संक्रमण विभिन्न आकारों की सुक्ष्म बूंदों के माध्यम से फैल सकता है. छींक आदि कणों से संक्रमण (ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन) तब होता है जब आपका निकट संपर्क उस व्यक्ति के साथ (एक मीटर के भीतर) होता है. जिसमें खांसी या छींकने जैसे श्वसन संबंधी लक्षण होते हैं.

वहीं इस दौरान आपके शरीर में इन सूक्ष्‍म बूंदों के जरिए वायरस प्रवेश कर सकता है. संगठन ने बताया कि इनका आकार आमतौर पर 5-10 माइक्रॉन होता है. बता दें की डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में ये कहा गया है कि संक्रमित व्यक्ति के आसपास के वातावरण में सतहों या वस्तुओं को छूने से भी यह संक्रमण फैल सकता है.

बात दें की इसके अलावा इसमें कहा गया है कि हवा में फैलने वाला संक्रमण ‘ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन’ से अलग है, क्योंकि यह सूक्ष्म बूंदों के भीतर जीवाणुओं की मौजूदगी को दिखाता है और ये जीवाणु आम तौर पर व्यास में पांच माइक्रॉन से कम के छोटे कण के रूप में होते हैं.रिपोर्ट के अनुसार चीन में कोरोना वायरस के 75,465 मरीजों के विश्लेषण में हवा से संक्रमण का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. मौजूदा सबूत के आधार पर डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस मरीजों की देखभाल कर रहे लोगों को खांसने या छींकने से बाहर आने वाली सूक्ष्‍म बूंदों और नजदीकी संपर्क से सावधानियां बरतने की सलाह दी है.

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