नई दिल्ली। जब तक सब्जी सलाद में प्याज न हो तो खानें का अधूरा माना जाता है, यही प्याज की किल्लत का हाल आज के इन दिनो हमें देखने को मिल रहा है। जी हां लेकिन इस किल्लत के पीछे क्या कारण है आज हम आपको बताएंगे।
आपको बता दें की, प्याज की वजह से देश के कई राज्यों के लोग इन दिनों बेहद मुश्किल में दिन गुजार रहे हैं। इसकी दो बड़ी वजह हैं पहली प्याज की किल्लत और दूसरी इसकी ऊंची कीमत। देश के कई राज्यों में प्याज की खुदरा बाजार में कीमत सौ रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है।
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भारत में प्याज की किल्लत का असर पड़ोसी देश बांग्लादेश तक हुआ है। वहां पर भी प्याज की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। इतना ही पिछले माह जब बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना भारत आईं तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में यहां तक कह डाला था कि भारत ने बिना पूर्व जानकारी के बांग्लादेश को प्याज निर्यात करना बंद कर दिया।
इसकी वजह से उन्होंने अपने रसोइये को प्याज के बिना ही खाना बनाने की हिदायत दे डाली और कुछ चीजों को खाने के मैन्यू से हटा दिया। बहरहाल, बांग्लादेश की बात चली है तो आपको ये भी बता दें कि वो खुद अपनी घरेलू मांग की पूर्ति के लिए वर्षों बाद पाकिस्तान से प्याज मंगवा रहे हैं।
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इसके अलावा खाड़ी देशों और मध्य एशिया के देशों से भी बांग्लादेश ने प्याज मंगवाया है। भारतीय प्याज पर केवल बांग्लादेश ही नहीं बल्कि नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका को भी निर्यात की जाती है। प्याज की सियासी आहट की बात करें तो इससे घबराकर दिल्ली सरकार ने सस्ती कीमत पर लोगों को प्याज उपलब्ध करवाने के लिए कई जगहों पर सेंटर तक खोल डाले। प्याज के सियासी खेल की बात करें तो इसकी वजह से दिल्ली में भाजपा की सरकार तक गिर गई थी।
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1998 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव में जिन मुद्दों का शोर सबसे अधिक सुनाई दिया था उसमें एक प्याज भी था। इस चुनाव में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने भाजपा को महज 14 सीटों पर समेट दिया था जबकि उसकी 53 सीटें थीं। इसको इत्तफाक कहा जा सकता है कि अब जबकि दिल्ली विधानसभा के चुनाव दो माह के अंदर होने की संभावना जताई जा रही है, तो एक बार फिर लोग प्याज के आंसू रो रहे हैं।http://www.upkiran.org
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