लखनऊ।। चारा घोटाले में लालू यादव को जेल से बरी करने की सिफारिश करने वालों में उत्तर प्रदेश के जालौन के DM और SDM का नाम CBI कोर्ट के स्पेशल जज शिवपाल सिंह ने लिया है। वहीँ डीएम और एसडीएम ने इसे गलत बताया है। ऐसे में यह सवाल यह उठता है कि लालू यादव को सजा सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह डीएम और एसडीएम पर क्यों गलत आरोप लगा रहें हैं?
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दूसरी तरफ जालौन के SDM भैरवपाल सिंह ने भी अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि न तो लालू प्रसाद के मामले में मैंने कोई फोन किया और न ही ऐसी कोई टिप्पणी ही की है। मैं किसी भी सीनियर अफसर या न्यायिक अधिकारी से इस तरह की बात कर ही नहीं सकता हूँ। इन बातों में कोई सच्चाई नहीं है। जज साहब, ऐसा क्यों कह रहे हैं, ये मैं नहीं जानता हूँ।
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जज शिवपाल सिंह के परिवार द्वारा जबरदस्ती कब्जा करने पर उनके भाई सुरेंद्र पाल सिंह के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज है। जबकि दूसरा पक्ष जमीन पर खेती कर रहा हैं। शिवपाल सिंह के परिवार के अनुसार, जबरन उनकी जमीन से चक रोड निकाल दिया है।
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शिवपाल सिंह ने खुद जिला कलेक्टर से शिकायत की, लेकिन समस्याएं दूर नहीं हुई। छह नवंबर, 2015 को वहां के तत्कालीन एसडीएम ने जमीन को मुक्त कराने का निर्देश दिया था। इसके बाद बीडीओ और ग्राम प्रधान की उपस्थिति में 1700 रूपए का पत्थर लगवाया गया, इसे भी विरोधियों ने उखा़डकर फेंक दिया।
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लालू यादव को बचाने के लिए कोशिश करने वालाें में उत्तर प्रदेश के जालौन के कलेक्टर का नाम सामने आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्शन में आ गए हैं। उन्होंने झांसी कमिश्नर को इस मामले की जांच करने के आदेश दे दिए हैं और जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
सवाल यह उठता है कि यूपी का डीएम और एसडीएम क्यों बिहार के नेता की सिफारिश करेगा। उसे क्या लाभ जबकि यूपी में लालू यादव की विरोधी बीजेपी की सरकार है? सूत्रों के अनुसार, जज शिवपाल सिंह लालू यादव केस की आड़ मे अपना हिसाब डीएम से बराबर कर रहें हैं।सबसे खास बात यह है कि डीएम मुस्लिम हैं। इस लिये आरोप लगाना आसान है। तो क्या लालू यादव केस की आड़ मे जज साहब विवादित जमीन का मामला निपटाना चाहतें हैं?