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समाजवादी पार्टी गठबंधन में सीट मांग नहीं रही बल्कि सीट दे रही है। ये शब्द है सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के है। उनके इस बयान की गूंज लखनऊ से दिल्ली तक जाएगी। उनके इस बयान के बाद यूपी की सियासत में इस बयान के कई मायने खोजे जाने लगे हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सपा अध्य़क्ष इसपर सहयोगी को ज्यादा सीट देने के मूड में इस बार नहीं है।

दरअसल उप्र में गठबंधन का सबसे प्रमुख दल सपा है। अखिलेश यादव के इस बयान को गठबंधन में सीटों के बंटवारे में समाजवादी पार्टी की ही बड़ी भूमिका रहेगी साफ़ तौर से जोड़कर देखा जा रहा है।

यूपी में गठबंधन के असली बॉस सपा

इससे पहले भी अखिलेश यादव यही कहते रहे कि सीटों पर सब मिल बैठकर फैसला लेंगे। लेकिन जिस तरीके से घोसी में मिली जीत के बाद पार्टी कार्यालय पर कार्यकर्ताओं से मुलाकात के दौरान अखिलेश यादव ने बयान दिया अब इसे उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स का भी हिस्सा माना जा रहा है। जिसमें कांग्रेस को यूपी में उनके हिसाब से नहीं बल्कि अपने हिसाब से सीट देने की तैयारी में है। यानि अखिलेश यादव ने अपने एक बयान से संदेश साफ तौर पर दे दिया कि यूपी में गठबंधन के असली बॉस वही है यानि की असली समाजवादी पार्टी है।

2019 के गठबंधन में सपा को हुआ था सबसे ज्यादा नुकसान

अखिलेश यादव ने ना केवल ये कहा कि समाजवादी पार्टी गठबंधन में सीट मांग नहीं बल्कि सीट दे रही है। साफ तौर पर ये भी कहा कि सपा ने पहले बहुत त्याग किया है। अखिलेश यादव का ये बयान एक तरीके से दिमागी खेल माना जाए क्योंकि चाहे 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव हो या फिर 2019 के लोकसभा चुनाव, समाजवादी पार्टी ने पहले कांग्रेस के साथ गठबंधन किया तो काफी सीटें दी और जब 2019 में बसपा के साथ गठबंधन किया तब भी उन्हें ज्यादा सीटें दी गई। दोनों ही बार सबसे ज्यादा नुकसान किसी को हुआ तो वो थी समाजवादी पार्टी।

2017 में अखिलेश यादव यूपी की सत्ता से बाहर हो गए तो दो हज़ार 19 में बसपा को 10 सीटें मिली और मायावती ने गठबंधन भी तोड़ दिया। जबकि पांच सीट पर सपा सिमट गई। 2017 में जब अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया तब कांग्रेस को 105 सीटे गठबंधन में दी गई थी। कोई समाजवादी पार्टी 218 सीटों पर ही चुनाव लड़ी थी। उस वक्त भी यही पार्टी के नेताओं ने कहा था कि कांग्रेस को इतनी सीटें देना सही फैसला नहीं। जब नतीजे आए वही बात साबित हुई। 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बसपा को 38 सीटें दी और खुद 37 सीटों पर चुनाव लड़ा।

अब जब 24 के गठबंधन में सीट बंटवारे की बात शुरू हुई तो अखिलेश यादव ने ये कहकर समाजवादी पार्टी पहले ही बहुत त्याग कर चुकी है तरीके से अपना स्टैंड साफ कर दिया है कि अब वो समाजवादी पार्टी त्याग नहीं करेगी। भले ही अभी गठबंधन में सीटों का बंटवारा नहीं हुआ हो लेकिन सूत्रों की मानें तो इस बार समाजवादी पार्टी यूपी में अकेले 55 से 58 लोकसभा सीटों पर इलेक्शन लड़ने की तैयारी कर ली है।

 

 

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