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लखनऊ ।। लोकसभा चुनाव 2019 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है सियासत गर्माती जा रही है। इस चुनाव को लेकर जहां एक तरफ बीजेपी ने अपनी तैयारी तेज कर दी है वहीं विपक्ष भी पीछे नहीं है। सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं की बात करें तो एक बात तय मानी जा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी वाराणसी सीट बहुत मुफीद नहीं रहने वाली।

चार साल पहले काशी के विकास को लेकर कासीवासियों को जिस तरह के सपने दिखाए गए थे उनमें से एक भी सपना पूरा नहीं हुआ। यह बात अब जनता भी समझने लगी है। आम मतदाताओं को बस एक सधे विकल्प की तलाश है जो बीजेपी को हराने में सक्षम हो।

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आमजन की नब्ज को पहचानते हुए विपक्ष भी लामबंद होने लगा है। इतना तो अभी से कयास लगाया जाने लगा है कि मोदी को हराने के लिए सारा विपक्ष एक होगा। इसके संकेत जहां कर्नाटक में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी दे चुके हैं कि अगर समूचा विपक्ष एक हो जाए तो काशी में मोदी को हराया जा सकता है।

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इधर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह भी इसी बात को दोहरा चुके हैं। सपा-बसपा की भी यही रणनीती है। ऐसे में इस बार के लोकसभा चुनाव में समूचे विपक्ष की निगाह वाराणसी सीट पर प्रमुखता के साथ होगी और समूचा विपक्ष एक हो कर चुनाव लड़ेगा। इसके संकेत काशी के राजनीतिक गलियारों में मिलने लगे हैं।

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वैसे लोकसभा चुनाव के नजदीक आते आते समीकरण किस करवट बैठेगा यह तो भविष्य ही तय करेगा लेकिन इतना तय है कि मोदी को हराने के लिए इस बार कोई बाहरी उम्मीदवार नहीं आने वाला अरविंद केजरीवाल की तरह। इस बात के संकेत आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह भी दे चुके हैं।

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पिछले दिनों बनारस आए सिंह ने पत्रिका के सवाल पर ही कहा था कि मोदी को हराने के लिए अरविंद केजरीवाल बनारस आएंगे या नहीं यह दूर की बात है, यदि सीएम योगी आदित्यनाथ की सीट गोरखपुर और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की सीट फूलपुर में जिस तरह से साझा विपक्ष फतह हासिल की है उसी जज्बे को बरकरार रखते हुए अगर समूचा विपक्ष एकजुट हो कर काशी में नरेंद्र मोदी के खिलाफ उम्मीदवार उतारे तो मोदी को हराना मुश्किल न होगा। यानी महागठबंधन को आम आदमी पार्टी का भी समर्थन मिलना तय है।

साभार- पत्रिका

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