राष्ट्रीय लोकदल का भाजपा और आरएसएस पर तीखा प्रहार कहा…

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लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की कार्यशैली उसकी कथनी और करनी को उजागर करती है साथ ही साथ उसकी अलगाववादी प्रवृत्ति का भी पर्दाफाश करती है।

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सबका साथ सबका विकास और सबका विष्वास का नारा देने वाली भाजपा की संकीर्ण मानसिकता इस बात की परिचायक है कि देश के अल्पसंख्यकों के प्रति उनकी भावना निंदनीय है क्योंकि भाजपा के कर्णधारों ने अपने आनुषंगिक संगठनों के माध्यम से डाॅ. फिरोज खान को इंगित करके बनारस हिन्दू विष्वविद्यालय जैसे विष्व प्रसिद्व षिक्षा संस्थान का वातावरण प्रदूषित करने का कुत्सित प्रयास किया है। देष की प्रचलित भाषाओं को भी धर्म की संकीर्णता में बांधना भाजपा का निंदनीय प्रयास है।

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डाॅ0 अहमद ने कहा कि राजस्थान के जयपुर जिले के बगरू निवासी डाॅ0 फिरोज खान की नियुक्ति बी0एच0यू0 के संस्कृत विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर हुयी है। जिसको भाजपा द्वारा नापंसद करते हुये विरोध दर्ज कराया गया है जबकि डाॅ0 फिरोज खान के पिता रमजान खान भी का सम्पूर्ण जीवन कृष्ण के भजन गाते बीत रहा है और डाॅ फिरोज खान की संस्कृत भाषा की रूचि ही उन्हें पी0एच0डी0 तक ले गयी और अपनी विद्युता के कारण ही उनका चुनाव संस्कृत के सहायक प्रोफेसर के रूप में हुआ है।

यहां यह भी स्पष्ट कर देना आवष्यक है कि हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य कवि रसखान मुस्लिम होते हुये कृष्ण भक्त कवि कहलाये।

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अब्दुल रहीम खान खाना गोस्वामी तुलसी दास के परम मित्रों में से एक थे। जनपद आजमगढ मेें मदरसों में भी हिन्दू षिक्षकों की नियुक्तियां है ऐसे में कोई भी मुस्लिम अथवा हिन्दू वर्ग किसी भी प्रकार को टीका टिप्पणी नहीं करता है। भाजपा और आरएस0एस0 ने ही अलगाववाद की भाषा और नीति अपना रखी है।

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रालोद प्रदेष अध्यक्ष ने कहा कि डाॅ0 फिरोज खान के समर्थन में राजस्थान में साधू संत के साथ साथ विद्वान वर्ग भी खड़ा है। भाजपा और आर0एस0एस0 को देष की गंगा जमुनी तहजीब समाप्त करने से बाज आना चाहिए।

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केन्द्र और प्रदेष सरकार जनता के दुख दर्द के साथ साथ क्षेत्रीय विकास और किसानों के हितों पर ध्यान दे तो अच्छा है क्योंकि साम्प्रदायिकता और धार्मिक उन्माद जैसी कार्यषैली से जनता त्रस्त हो चुकी है।http://www.upkiran.com

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