प्रवासी मजदूरों को अपने खर्च पर वापस ला रहे हैं उद्द्यमी, खातों में जमा कराई जा रही है एडवांस रकम

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कोरोना वायरस और लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार प्रवासी मजदूरों पर पड़ी है। दिल्ली, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के विभिन्न महानगरों में रोजी-रोटी कमा रहे उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा और झारखंड के करोड़ों मजदूरों को वापस अपने गांव वापस लौटना पड़ा। मजदूरों की घर वापसी एक भयानक त्रासदी साबित हुई। अब धीरे-धीरे इंडस्ट्री व अन्य काम-धंधे शुरू हो रहे हैं और पंजाब में धान रोपाई शुरू होती है तो मजदूरों की कमी खल रही ह। अब तमाम उद्दामी और पंजाब के किसान बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूरों को वापस ला रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक़ पंजाब के किसान और उद्यमी उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा और झारखंड के गांवों से प्रवासी मजदूरों को अपने खर्च पर परिवहन व्यवस्था मुहैया करके ला रहे हैं। फिलहाल आने वालों में ज्यादा तादाद खेत मजदूरों की है। उद्योगपतियों ने प्रवासी श्रमिकों को पंजाब वापस लाने के लिए उनके टिकट बुक करवाने शुरू कर दिए हैं। तमाम मजदूरों के खातों में एडवांस रकम भी जमा कराई जा रही है।

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इस पखवाड़े 17 ट्रांसपोर्ट कंपनियों की 300 बसें पंजाब से उत्तर प्रदेश और बिहार भेजी गईं जो 10 हजार से ज्यादा मजदूरों को लेकर लौटी हैं। एक ट्रांसपोर्टर के मुताबिक बसों के कई फेरे लग रहे हैं और उनके पास जून के अंत तक की बुकिंग है। इसी तरह किसानों और किसान संगठनों ने भी प्रशासन से बात कर और पास हासिल कर खुद बसों में बैठकर अन्य राज्यों में गए और मजदूरों को लेकर आए। यह सिलसिला अभी भी जारी है।

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ज्यादातर मजदूर वापस लौटने को आसानी से तैयार नहीं हैं, इसलिए उन्हें ज्यादा पारिश्रमिक और बेहतर सुविधाओं के आश्वासन पर दुबारा लाया जा रहा है। महानगरों में वापस लौट रहे मजदूरों को अपने सूबे की सरकारों से निराशा हाथ लगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रवासी मजदूरों के लौटने पर उन्हें रोजगार देने का वादा किया था। जमीन पर खिन कुछ नहीं है। ज्यादातर मजदूरों को गांव में खाने-पिने की किल्ल्त हो रही है।

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इस तरह प्रवासी मजदूरों की धीरे-धीरे वापसी शुरू हो रही है। इससे उद्द्योग जगत में एक बार फिर से आशा का संचार हुआ है। उद्द्मियों का कहना है कि प्रवासी कामगारों को वापस लाने के सरकार को स्पेशल ट्रेनें चलानी चाहिए। फिहाल अभी ज्यादातर मजदूरों को उनके घरों से बसों से लाया जा रहा है।

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