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लखनऊ। वैश्विक महामारी के बीच भारत में एकबार फिर क्षेत्रवाद की राजनीति शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रवासी श्रमिकों को लेकर दिए गए एक बयान पर महाराष्ट्र से गंभीर प्रतिक्रिया आई है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा है कि महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश के लोगों को काम करने के लिए महाराष्ट्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। राज ठाकरे के इस बयान के बाद मुंबई में रह रहे यूपी के मजदूरों को अपने ऊपर हमले का भी सताने लगा है।

देशव्यापी लॉकडाउन में अलग-अलग राज्यों से प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला जारी है। सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए लौट रहे हैं। महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में मजदूरों ने पलायन किया है। अब प्रवासी मजदूरों के वापस लौटने को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रवासी मजदूरों को लेकर दिए गए बयान के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने पलटवार किया है।

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मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि सीएम योगी इस बात का भी ध्यान रखें कि प्रवासियों को अब महाराष्ट्र में आने से पहले यहां की सरकार से इजाजत लेनी चाहिए। राज ठाकरे ने सीएम उद्धव ठाकरे से अपील की है कि महाराष्ट्र सरकार को पुलिस स्टेशन में प्रवासी मजदूरों का रिकॉर्ड बनाना चाहिए। इसमें अन्य जरूरी कागजातों के साथ ही उनकी तस्वीर भी होना चाहिए।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को दुख जताया कि लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों ने प्रवासी कामगारों का उचित तरीके से ध्यान नहीं रखा। अब अगर किसी प्रदेश को यूपी के कामगारों की जरूरत होगी तो उन्हें पहले यूपी सरकार से इजाजत लेनी होगी। उन श्रमिकों के सामाजिक, कानूनी और आर्थिक अधिकार सुनिश्चित करने होंगे।

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राज ठाकरे के बयान के और उसपर महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की चुप्पी से मुंबई समेत महाराष्ट्र के अन्य नगरों में उत्तर भारतीयों की  सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। मुंबई में रह गए यूपी के मजदूरों को अपने ऊपर हमले का भी सताने लगा है। उन्हें लगता है कि मनसे कार्यकर्ता उनपर हमले कर सकते हैं।

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उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र की स्थानीय राजनीति मराठी बनाम बाहरी के मुद्दे पर टिकी हुई है। इसकी शुरुआत १९७० के दशक में शिवसेना द्वारा की गई थी। उसके बाद कई बार उत्तर भारतीयों पर हमले की घटनाएं हुई। हालांकि कालांतर में शिवसेना मराठी अस्मिता की राजनीति को छोड़कर हिंदुत्व की राजनीति करने लगी। उसके बाद शिवसेना से ही अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन करने वाले राज ठाकरे मराठी अस्मिता के झंडाबरदार बन गए।

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